कुछ तो अपने और मेरे दरमियाँ रहने भी दे

कुछ तो अपने और मेरे दरमियाँ रहने भी दे दूरियाँ चुभती हैं फिर भी दूरियाँ रहने भी दे   ख़्वाब है तो टूट भी जाएगा थोड़ी देर में तू मेरी पलकों पे अपनी उँगलियाँ रहने भी दे   मैं मुक़म्मल हो गया तो देवता बन जाऊँगा मुझमें हैं जो ख़मियाँ वो ख़मियाँ रहने भी दे … Continue reading कुछ तो अपने और मेरे दरमियाँ रहने भी दे